Thursday 15 September 2016

चिकनगुनिया : - एक चुनोती

14 सितम्बर 2016 को नवभारत टाइम्स ने चिकनगुनिया जैसी  महामारी पर खास रिपोर्ट पेश की।अपनी इस रिपोर्ट में  उन्होंने बताया की अबतक 10  से ज़्यादा लोगों की मौत चीकन गुनिया से हो चुकी है।और ऐसे मे  लोगों तक स्वास्थ्य संबंधी  सुविधा पहुँचाने  की बजाय राजनीतिकसियासत तेज़ हो रही है।आम आदमी पार्टी पर उठने वाले सवालों पर अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि " सी.एम् और मिनिस्टर के पास अब एक पेन तक खरीदने की पावर नही बची है , पी.एम् और एल.जी के पास दिल्ली से जुड़े  सारे अधिकार  और शक्तियां है।"  वही दूसरी और सरकार  के मंत्रियौ ने आरोप लगाया कि  "अब तक  एम् सी डी  ने किसी भी इलाके में  दवाई नहीं डाली  है और बिमारियों  की रोकथाम की ज़िम्मेदारी  निभाने में  एम् सी डी  पूरी तरह से नाकाम है। वही हेल्थ मिनिस्टर सत्येंदर  जैन  का कहना था कि " चिकनगुनिया  से  पैनिक न फैलायें क्योंकि इस बिमारी  से मौत नही होती , रोकथाम की पूरी ज़िम्मेदारी एम् सी डी  की है। वह महामारी फ़ैलाना चाहती है इसलिये सफाई नही कर रही।  सरकारी  हस्पताल मरीजों से भरे पड़े है।  परंतु न उनके लिये बेड  है और न ही चिकित्सा की व्यवस्था।  कर्मचारियों  की भी अत्याधिक कमी हो रही है। 
ऐसे में  केन्द्र और दिल्ली सरकार को आपस में  उलझने की बजाय इस कार्य को देखना  द चाहिय कि  इस महामारी को रोका  कैसे जाय।  सारी  एजैंसियों को मिलकर काम करना चाहिय।    इसके लिये सामाजिक संगठन और युवा संगठनो  को भी सामने आना चाहिय।ऐसी  पहल इस . जी  . टी  .भी खालसा कॉलेज की एन  .एस . एस टीम करने जा रही है।  कॉलेज के छात्र आने वाले दिनों में दिल्ली के लोक नायक हस्पताल मे  मरीजों की सहायता  के लिये नियुक्त किया जायेंगे।  वस्तुत ऐसी पहल बाकी संगठनों को भी करनी चाहिय तभी इस बिमारी   को रोका  जा सकता है। अतः  यह सही समय है  ज़िम्मेदारी लेने और निभाने का। 

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